रिपोर्ट: बलदेव सिंह
स्थान: रुद्रपुर/किच्छा
सिचाई विभाग की नहर की पटरी पर लगे सेमल और शीशम के हरे-भरे पेड़ों को दिन दहाड़े काटकर माफियाओं द्वारा चोरी कर लिया गया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक न तो एफआईआर दर्ज की गई और न ही किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हुई।
यह घटना 16 मार्च 2025 की है, जब धोराडाम रोड से महज 200 मीटर की दूरी पर खेत मालिक की मिलीभगत से लाखों रुपये की लकड़ी की अवैध कटाई की गई। जब इस संबंध में शिकायत की गई, तो वन विभाग ने मामले को सिंचाई विभाग का बताकर पल्ला झाड़ लिया, जबकि मौके से कटे हुए पेड़ जब्त कर लिए गए।
शिकायतकर्ता अंकित कुमार ने अधिशासी अभियंता, सिंचाई नहर खंड रुद्रपुर को पत्र भेजकर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन एक महीने से अधिक का समय बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई। सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक दबाव के चलते मामले को दबा दिया गया है और विभागीय अधिकारी बेबस नज़र आ रहे हैं।
एक दशकों पुराना पेड़ भी नहीं छोड़ा गया—आरी से काटकर जड़ से गिरा दिया गया। यह घटना सिर्फ पर्यावरण की क्षति नहीं है, बल्कि सरकारी संपत्ति की सरेआम लूट है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिलसिला सिर्फ एक बार नहीं हुआ। नहर की पटरी से बार-बार पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे नहर के बांध को भी नुकसान हो रहा है। लेकिन विभाग अब तक मूकदर्शक बना बैठा है।
क्या इस मामले में कभी कोई कार्रवाई होगी? या फिर यह भी उन कई मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा, जिसमें रसूखदारों को बचाने के लिए कानून को ताक पर रख दिया गया?