देहरादून/ 16वें वित्त आयोग की टीम ने उत्तराखंड दौरे के दौरान राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में आयोजित इस बैठक में टैक्स वितरण प्रणाली, राज्य की वित्तीय जरूरतों और विकास संबंधी विषयों पर व्यापक चर्चा हुई। आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर वितरण की प्रक्रिया को समझाते हुए, राज्यों की राजस्व जरूरतों और क्षमताओं का संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
राज्य सरकार ने रखीं विशेष मांगें
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वित्त सचिव के साथ हुई बैठक में राज्य सरकार ने आयोग के समक्ष अपनी कई अहम मांगें रखीं। प्रमुख रूप से, उत्तराखंड ने केंद्रीय उपकर (सेस और सरचार्ज) में से 10% हिस्सा दिए जाने की मांग की है। वित्त सचिव ने जानकारी दी कि 15वें वित्त आयोग ने राज्य को कुल 41% हिस्सा दिया था, जबकि आबादी के आधार पर मात्र 15% बजट राज्यों में बांटा गया था।
पर्यावरण संरक्षण के बदले विशेष अनुदान की मांग
राज्य सरकार ने अपने प्रस्तुतिकरण में यह भी बताया कि उत्तराखंड में फॉरेस्ट कवर में 10 से 20 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकार ने इस पर्यावरणीय योगदान को ध्यान में रखते हुए विशेष अनुदान की मांग की है। आयोग ने इस पहल की सराहना की और भरोसा दिलाया कि इस पहलु पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।
पंचायतों और नगर निकायों से भी होगा संवाद
डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि आयोग पूरे देश में दौरा कर राज्य सरकारों के साथ-साथ पंचायतों और नगर निकायों से भी संवाद कर रहा है ताकि जमीनी स्तर की वित्तीय चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझा जा सके। उत्तराखंड में भी आयोग आने वाले दिनों में विभिन्न शहरों और पंचायत क्षेत्रों का दौरा करेगा और आम नागरिकों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित करेगा।
बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम का दौरा और पर्यटन पर फोकस
वित्त आयोग की टीम मंगलवार को चारधाम यात्रा के तहत प्रसिद्ध बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम का दौरा करेगी। इसके बाद पर्यटन और स्थानीय व्यापार की चुनौतियों और संभावनाओं को लेकर विशेष बैठक आयोजित की जाएगी। बुधवार को आयोग की टीम पर्यटन क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधियों और व्यापारियों से भी मुलाकात करेगी।
वित्त आयोग अध्यक्ष का बयान
डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि कर संग्रह में राज्यों की प्रति व्यक्ति आय की भूमिका अहम होती है। उदाहरण के तौर पर, हरियाणा देश का सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला राज्य है और उसकी टैक्स संग्रहण क्षमता भी उतनी ही अधिक है। उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए आयोग ने क्षेत्रफल के आधार पर 15% हिस्सेदारी और राजस्व क्षमता के अनुसार अतिरिक्त 2.5% प्रावधान का उल्लेख किया।