नई दिल्ली, 18 मई/ भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापारिक रिश्तों में अचानक कूटनीतिक तनाव की गर्माहट बढ़ गई है। बांग्लादेश के प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के एक विवादास्पद बयान के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए अपने पूर्वोत्तर राज्यों के भूमि बंदरगाहों के ज़रिए बांग्लादेशी सामानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।
क्या कहा था यूनुस ने?
चीन में एक कार्यक्रम के दौरान यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “landlocked region” यानी समुद्र से कटा हुआ इलाका बताया। भारत ने इस बयान को न केवल अपमानजनक माना, बल्कि इसे पूर्वोत्तर भारत की भौगोलिक और रणनीतिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश करार दिया। इस टिप्पणी से भारत के कूटनीतिक और राजनीतिक गलियारों में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली।
किन उत्पादों पर लगा है प्रतिबंध?
भारत ने रेडीमेड गारमेंट्स, प्लास्टिक आइटम्स, मेलामाइन, फर्नीचर, जूस और सॉफ्ट ड्रिंक्स, बेकरी प्रोडक्ट्स, कन्फेक्शनरी, और प्रोसेस्ड फूड जैसे उत्पादों पर रोक लगाई है। अब ये उत्पाद असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम जैसे राज्यीय रूट्स से भारत में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। इन्हें अब कोलकाता या न्हावा शेवा पोर्ट के रास्ते भेजना होगा, जिससे बांग्लादेश का लॉजिस्टिक खर्च 20–30% तक बढ़ सकता है।
क्यों हुआ भारत को यह फैसला लेना?
भारत ने अपने फैसले को “Reciprocity” यानी पारस्परिकता की आवश्यकता बताया है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत ने बांग्लादेश को लंबे समय तक एकतरफा व्यापारिक रियायतें दी हैं, जबकि बांग्लादेश भारतीय वस्तुओं पर अनुचित ट्रांजिट शुल्क वसूलता रहा है। उदाहरण के तौर पर, बांग्लादेश भारतीय ट्रकों से 1.8 टका प्रति टन प्रति किलोमीटर शुल्क लेता है, जबकि अपनी आंतरिक दर मात्र 0.8 टका है।
इसका असर बांग्लादेश पर
बांग्लादेश भारत को सालाना $740 मिलियन के वस्त्र निर्यात करता है, और 93% निर्यात इन्हीं भूमि मार्गों के माध्यम से होता है। नए रूट्स से बढ़े लागत और समय के चलते बांग्लादेशी उत्पाद भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं।
पूर्वोत्तर भारत भी प्रभावित
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश कई बार भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से लगे IC Ports पर निर्यात को रोकता रहा है और पारगमन शुल्क की अन्यायपूर्ण नीतियां अपनाता रहा है। इससे:
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पूर्वोत्तर राज्यों का औद्योगिक विकास प्रभावित होता है,
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इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी पर असर पड़ता है,
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और भारत की Act East Policy को झटका लगता है।
कूटनीतिक संदेश या शक्ति प्रदर्शन?
भारत का यह कड़ा निर्णय न केवल बांग्लादेश के लिए साफ चेतावनी है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि भारतीय हितों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब सबकी नजर बांग्लादेश की प्रतिक्रिया पर टिकी है — क्या वह भारत के इस फैसले का कूटनीतिक विरोध करेगा या स्थिति को संभालने की दिशा में डैमेज कंट्रोल करेगा?
यह घटनाक्रम दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ ला सकता है, जिसका असर न केवल द्विपक्षीय व्यापार पर पड़ेगा, बल्कि क्षेत्रीय रणनीतिक संतुलन पर भी देखने को मिल सकता है।