उत्तराखंड के कृषि मंत्री और मसूरी विधायक गणेश जोशी दीपावली के अवसर पर मसूरी पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ दीपावली मनाई । इस मौके पर उन्होंने प्रदेश और देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएं दी। पत्रकारों से वार्ता करते हुए कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी नें देशवासियों के लिए कामना की की दिए के उजाले की तरह सभी के जीवन में खुशियों की रोशनी आए। उन्होने कहा कि देष के 130 करोड़ देशवासियों का राम मंदिर का सपना पूरा होने जा रहा है जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर का लोकार्पण करेंगे जो सभी देशवासियों के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार प्रदेश के विकास और प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत किए जाने को लेकर काम कर रहे हैं । उत्तराखंड में दिसंबर माह में इन्वेस्टर समिट आयोजित होनी है जिसको लेकर स्वयं मुख्यमंत्री देष विदेश का दौरा कर उद्योगपतियों को आमंत्रित कर रहे हैं उन्होंने कहा कि अभी तक सवा लाख करोड़ सेे अधिक एमओयू साइन हो चुके हैं और उनका पूरा भरोसा है कि समिट आयोजित होने तक जो उनका लक्ष्य ढाई लाख करोड़ को पूरा करने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आने वाला दशक उत्तराखंड का है और उस दिशा में यह बहुत ही सार्थक कदम माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि की क्षेत्र में भी लगातार कई परिवर्तन किया जा रहे हैं उनके द्वारा हाल में विदेश के दौरे किए गए हैं और जल्द अधिकारियों को भी विदेश दौरे पर भेजा जाएगा जिससे कि वहा के एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर में संभावनाएं तलाशी जा सके। जिससे प्रदेश की इकोनॉमी को मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा थाईलैंड और नीदरलैंड बहुत छोटा देश है और इन देशों ने हॉर्टिकल्चर में पूरी दुनिया की मार्केट में कब्जा कर रखा है उन्होंने कहा कि मिलेट्स के क्षेत्र में प्रदेश की सरकार बेहतर काम कर रही है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से श्री अंन को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का मांडवा झगोंरा रामदाना और अन्य मिलेट्स की मिलेट इंस्टीट्यूट हैदराबाद में टेस्टिंग की तो जिसमें प्रदेश का मिलेट सबसे बेहतर पाया गया। गणेश जोशी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मिलेट के क्षेत्र में जहां अन्य बीजों में 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है वह मिलेट के क्षेत्र में 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है उन्होंने कहा कि उनको याद है कि जब उत्तराखंड का आंदोलन चल रहा था तो नारा लगाया जाता था कि कोदा झंगोरा खाएंगे उत्तराखंड बनाएंगे आज हम यह कह सकते हैं कि कोदा झगोरा उगायेग उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाएंगे।