हल्द्वानी, 4 अक्टूबर: हल्द्वानी शहर में आज एक छात्रसंघ के आयोजन में पुलिसकर्मियों और छात्रों के बीच तनाव बढ़ गया है। छात्र महासंघ के वार्षिकोत्सव के मौके पर, जिसमें कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या भी मौजूद थी, करीब छह पुलिसकर्मियों ने छात्रों को जमकर पीटा।
इस घटना का सबसे मुख्य प्रमुख होने के बावजूद, हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज के मैदान में आयोजित छात्र महासंघ के वार्षिकोत्सव के दौरान, पुलिस और छात्रों के बीच बदलते मूड ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।
छात्र महासंघ के वार्षिकोत्सव के लिए एमबीपीजी कॉलेज के मैदान में छात्रों और छात्रनेताओं का समागम हुआ, और इसके दौरान मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या भी मौजूद थी।
घटना का समय आया, जब एक छात्र नेता और उसके साथी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मंच की ओर बढ़े, और पुलिसकर्मी उन्हें रोक लिया। छात्रों के प्रतिरोध के बावजूद, सीओ ने उन्हें कॉलर पकड़कर बलपूर्वक घसीट लिया।
इसके परिणामस्वरूप, एक पूर्व छात्रनेता को जमीन पर गिराया गया और उसे पुलिस की गाड़ी में बिना अनुमति के बिठा दिया गया। इस दौरान, पुलिसकर्मी कानून के मखौल उड़ा रहे थे, और उनके अधिकारी एसपी सिटी हरबंश सिंह भी नशे को लेकर भाषण दे रहे थे।
इस घटना के दौरान, वार्डी की आड़ में पुलिसकर्मी कानून का मखौल उड़ा रहे थे, और यह इंदिच्छा प्रकट कर रहे थे कि वे किसी छात्र को अनुशासित करने का प्रयास कर रहे थे।
एमबीपीजी कॉलेज के मैदान में कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र महासंघ की ओर से आयोजित वार्षिकोत्सव के बाद, बहुत सी गतिविधियां थीं और उनमें कई अन्य कॉलेजों के छात्र और छात्रनेताएं भी शामिल थे।
घटना के बाद, एमबीपीजी कॉलेज के कुछ छात्र और छात्रनेताओं ने कोतवाली तक प्रदर्शन किया और पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया। वार्षिकोत्सव के आयोजन के संदर्भ में, यह मामला बढ़ गया था, और कोई भी आपसी विवाद बचाव में नहीं किया गया।
इसके बाद, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष एडवोकेट गोविंद बिष्ट ने दोनों पक्षों में सुलह समझौता किया, जिससे घटना को समाप्त किया जा सका।
छात्रों के बीच कुछ अराजकता का माहौल बन रहा था, जिसके बावजूद, इस घटना को तब तक कंट्रोल किया गया, जब एक युवक ने नारों के साथ पैम्फलेट उछाल दिए। इसके बाद, पुलिसकर्मी ने उसे बरामद करके पोलिस कार में बिठा दिया।
यदि ऐसी अराजकता किसी भी आयोजन में आगे भी दिखाई देती है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
भूपेन्द्र सिंह धौनी सीओ हल्द्वानी
यदि मामले में पुलिस की तरफ से अनावश्यक बल प्रयोग किया गया है तो इसकी जानकारी ली जाएगी।
प्रह्लाद नारायण मीणा एसएसपी नैनीताल
सत्ता से जुड़े छात्रों के सामने पुलिस की बोलती बंद
पीड़ित छात्रों ने पुलिस पर पक्षपात के आरोप लगाए हैं। छात्रों का कहना है सत्ताधारी दल से जुड़े छात्र मंच के सामने चुनाव प्रचार करते रहे लेकिन पुलिस कर्मियों की जुबान नहीं खुली। कार्यक्रम देख रहे छात्र-छात्राओं पर चुनावी पर्चे तक मंत्री के सामने उछाले गए इसके बावजूद सामान्य छात्रों पर लाठी भांजने वाली पुलिस चुप रही।
टारगेट तो नहीं बन रहे दूसरे दलों के छात्रनेता
छात्रनेताओं को कॉलर पकड़कर घसीटते समय पुलिसकर्मी उनसे कहते सुनाई दिए कि ‘तू तो यहां का छात्र है ही नहीं, कैसे आ गया’। सैकड़ों छात्रों की भीड़ में इस तरह के कई लोग थे जो कॉलेज में नहीं पढ़ते हैं। ऐसे में कैसे सीओ और उनकी टीम ने बिना आईडी देखे निर्दलीय दावेदार के समर्थक छात्रनेता को बाहरी घोषित कर दिया।
हमारे समय में पूछकर आती थी पुलिस: प्रताप
कार्यक्रम के अंत में भाजपा नैनीताल के जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट ने अपने कॉलेज के दिनों की यादें साझा कीं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब वे इस कॉलेज में छात्र राजनीति में थे तो पुलिस प्रशासन बिना पूछे न तो अंदर आता था और न ही बाहर जाता था। ये कहकर कहीं न कहीं उन्होंने भी कॉलेज में पुलिस की हर समय मौजूदगी पर सवाल उठाए।
पुलिस की वर्दी फाड़ी तो कैसे छोड़ दिया
कोतवाली में बिठाए गए छात्रनेता करन अरोड़ा पर कोतवाली पुलिस ने एक पुलिसकर्मी की वर्दी फाड़ने का आरोप तक लगा दिया। जबकि, मौके पर मौजूद छात्र-छात्राओं का साफ कहना था कि पुलिसकर्मी ही दोनों छात्रनेताओं को इधर-उधर खींचते दिखे। अब सवाल ये उठता है कि यदि कोई छात्रनेता पुलिस की वर्दी फाड़ता है तो पुलिस कैसे उसके साथ समझौता कर सकती है।
साथियों के साथ मैं वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने जा रहा था। मुझे सीओ ने रोककर पीछे जाने को कहा। इतने में एक समर्थक ने पर्चे उड़ा दिए। पुलिस ने उसे खींच लिया। इस बीच पूर्व छात्रसंघ पदाधिकारी करन अरोड़ा पर लाठियां भी चलाई ।
संजय जोशी निर्दलीय दावेदार
कुविवि के कार्यक्रम का किसी तरह का कोई विरोध नहीं कर रहा था। इसके बावजूद छात्रनेता करन अरोड़ा को जबरत कोतवाली में बंद कर दिया गया। पुलिस का कहना था कि उन्हें वार्षिकोत्सव खत्म होने के बाद छोड़ेंगे। आखिर सत्ता के दबाव में कब तक ये मनमानी चलेगी।